- 27 अगस्त को भाद्रपद महीने में शनैश्चरी अमावस्या का शुभ संयोग बनेगा। ऐसा 14 साल बाद हो रहा है। अब दो साल बाद ऐसा योग आएगा। ये संयोग इसलिए भी खास है क्योंकि इस दिन शनि अपनी ही राशि मकर में रहेगा।
पुराणों में शनिवार को आने वाली अमावस्या को महत्वपूर्ण बताया गया है। स्कंद, पद्म और विष्णुधार्मोत्तर पुराण के मुताबिक शनैश्चरी अमावस्या पर तीर्थ स्नान या पवित्र नदियों में नहाने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। इस पर्व पर किए गए दान से कई यज्ञ करने जितना पुण्य फल मिलता है। साथ ही इस अमावस्या पर किए गए श्राद्ध से पितर पूरे साल के लिए संतुष्ट हो जाते हैं।
14 साल बाद बनेगा ऐसा संयोग
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि जब कोई अमावस्या शनिवार को पड़ती है तो उसे शनिचरी अमावस्या कहा जाता है। 27 अगस्त को भाद्रपद महीने में आने वाली साल की आखिरी शनैश्चरी अमावस्या रहेगी। शनिवार को अमावस्या का शुभ संयोग कम ही बनता है। 14 साल पहले ऐसा संयोग 30 अगस्त 2008 को बना था। जब भादौ में शनैश्चरी अमावस्या थी। अब दो साल बाद यानी 23 अगस्त 2025 को भाद्रपद महीने में शनैश्चरी अमावस्या का संयोग बनेगा।
अमावस्या कब से कब तक
भादौ की शनैश्चरी अमावस्या 26 अगस्त को सुबह तकरीबन 11.20 से शुरू होगी जो शनिवार को दोपहर करीब 1.45 तक रहेगी। भाद्रपद महीने में अमावस्या तिथि पर तीर्थ और पवित्र नदियों के पानी से नहाने का महत्व ग्रंथों में बताया गया है। पद्म, मत्स्य और स्कंद पुराण में अमावस्या तिथि को पर्व कहा गया है। इसलिए इस दिन तीर्थ या पवित्र नदियों के पानी से नहाने से हर तरह के दोष दूर हो जाते हैं।
शनि स्वराशि में इसलिए खास अमावस्या
ग्रंथों में बताया गया है कि शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या शुभ फल देती है। इस तिथि पर तीर्थ स्नान और दान का कई गुना पुण्य फल मिलता है। अमावस्या शनि देव की जन्म तिथि भी है। इसलिए इस दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए पीपल के पेड़ की पूजा करने से कुंडली में मौजूद शनि दोष खत्म होते हैं। इस दिन शनि देव की कृपा पाने के लिए व्रत रखना चाहिए और जरूरतमंद लोगों को भोजन करवाना चाहिए। ये शनैश्चरी अमावस्या खास इसलिए है क्योंकि शनि अपनी ही राशि यानी मकर में है।