- शाहजहाँपुर। कारागार व होमगार्ड राज्य मंत्री धर्मवीर प्रजापति तथा राज्य मंत्री, महिला कल्याण एवं बाल विकास पुष्टाहार, प्रतिभा शुक्ला ने चिकित्सालय व ऑक्सीजन जनरेटर प्लांट का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान मंत्री ने चिकित्सालय में संचालित ओ.पी.डी. एक्स-रे, अल्ट्रासाउण्ड, डायलिसिस यूनिट, आर.बी.एस.के. कैम्प 100 बेडेड निर्माणाधीन चिकित्सालय भवन मेडिकल गैस पाईप लाईन रूम तथा ऑक्सीजन जनरेशन प्लाटों का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान मंत्री ने चिकित्सालय में भर्ती मरीजों व उनके तीमारदारों से वार्ता कर हाल चाल लिया तथा चिकित्सालय द्वारा उपलब्ध करायी जा रही सुविधाओं व इलाज के सम्बन्ध में वार्ता की।
मंत्री ने निर्माणाधीन 100 बेडेड चिकित्सालय निर्माण का निरीक्षण किया व निर्माण कार्य में शिथिलता पर असंतोष व्यक्त किया। चिकित्सालय परिसर में निर्माणाधीन मेडिकल गैस पाइप लाईन जिसका निर्माण उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम लिमिटेड कानपुर द्वारा कराया जा रहा है। कार्यदायी संस्था द्वारा उक्त कार्य तय समय सीमा में पूर्ण नहीं किया गया है जिसके कारण मरीजों को मेडिकल ऑक्सीजन गैस व अन्य मेडिकल गैस की समुचित सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है जिसके सम्बन्ध में स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय के प्रधानाचार्य ने मंत्री से अपने स्तर से कार्यदायी संस्था को निर्देश दिये जाने का अनुरोध किया। निरीक्षण के दौरान चिकित्सालय परिसर में स्थापित सी.एस.आर. के माध्यम से मारूति सुजिकी व सर्वन लता मदरसन ट्रस्ट, नई दिल्ली द्वारा उपलब्ध कराये गये ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट की अक्रियशीलता के बारे में जानकारी चाही कि ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट कब तक क्रियाशील हो जायेगा। स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय के प्रधानाचार्य द्वारा अवगत कराया गया कि ऑसीजन जनरेशन प्लांट को क्रियाशील करने हेतु दिनांक 29-08-2022 सोमवार को इंजीनियर उपस्थित होगा। स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय के प्रधानाचार्य द्वारा मा० मंत्री जी से अनुरोध किया गया कि चिकित्सालय में मरीजों को उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधा 30 बेड ट्रामा सेन्टर, 30 इमरजेन्सी यूनिट तथा 50 बेडेड आई.सी.यू. व सी.सी.यू. तथा अन्य सुविधायें उपलब्ध कराये जाने हेतु चिकित्सालय परिसर में भूमि उपलब्ध नहीं है। उक्त सुविधाओं हेतु चिकित्सालय परिसर से लगी वन विभाग की भूमि को जनहित में स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय को हस्तांतरित कर व्यवस्था आरम्भ की जा सकती है तथा वन विभाग को अन्यत्र स्थानातरित किया जा सकता है।