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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर बन रहा खास संयोग


 ग्रह गोचर पंचांग के अनुसार, इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 19 अगस्त शुक्रवार को मनाई जाएगी। मथुरा में इस दिन भगवान का विशेष शृंगार किया जाएगा, तो मध्य रात्रि में भगवान का जन्म होगा। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार खास संयोग बन रहा है। ज्योतिषियों के अनुसार, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर इस बार 51 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा।

भाद्र महीने की अष्टमी को मनाया जाता है नंदलाल का जन्मोत्सव

सनातन धर्म के अनुसार, हिंदी मास से 6वें महीने यानी भाद्र में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म उत्सव मनाया जाता है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर देश-दुनिया में खासी धूम रहती है। सबसे ज्यादा जहां इस उत्सव की धूम रहती है, वह है भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा। यहां इस पर्व को बेहद ही खास तरीके से मनाया जाता है।भगवान श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग में भाद्र महीने में रोहिणी नक्षत्र में अष्टमी तिथि को हुआ था। कंस के कारागार में प्रकट हुए भगवान श्रीकृष्ण को आधी रात में ही वासुदेव जी घनघोर बारिश के बीच सूप में रखकर गोकुल ले गए। द्वापर युग में भगवान के जन्म लेने के बाद से आज तक मथुरा में भगवान के जन्मोत्सव को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर करें शुभ मुहूर्त में पूजा

ज्योतिषाचार्य पंडित अजय तैलंग ने बताया कि इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के लिए कई शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। इस दिन 12 बजकर 5 मिनट से 12 बजकर 56 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। जन्माष्टमी पर शुभ उदय तिथि 19 अगस्त को ही है।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन अष्टमी की शुभ बेला और रात को रोहिणी नक्षत्र का संयोग भी बनेगा। इस योग में पूजा व्रत करने से साधक को लाभ मिलेगा।

जन्माष्टमी तिथि- 18 अगस्त और 19 अगस्त 2022
अष्टमी तिथि आरंभ- गुरुवार 18 अगस्त रात्रि 09: 21 से
अष्टमी तिथि समाप्त- शुक्रवार 19 अगस्त रात्रि 10:59 तक
अभिजीत मुहूर्त- 12:05 -12:56 तक
वृद्धि योग- बुधवार 17 अगस्त दोपहर 08:56 – गुरुवार 18 अगस्त रात्रि 0841 तक

 इस तरह करें पूजन

ज्योतिषाचार्य पंडित अजय कुमार तैलंग के अनुसार, जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण का शृंगार करने के बाद उन्हें अष्टगंध चंदन और रोली का तिलक लगाएं। इसके बाद उनको माखन, मिश्री और अन्य भोग अर्पित करें। भोग अर्पित करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण के मंत्रों का जाप करें।

हाथ में फूल और चावल लेकर भगवान श्रीकृष्ण का आह्वान करें। इसके अलावा उनका पंचामृत से अभिषेक करें। पंचामृत में तुलसी जरूर डालें। इस दिन भगवान को धनिया की पंजीरी का भोग भी अर्पित करें।

भगवान के जन्म का मनाया जाएगा 5248वां वर्ष

भगवान श्रीकृष्ण का इस वर्ष भक्त 5 हजार 248वां जन्मोत्सव मनाएंगे। भगवान के मध्य रात में प्रकट होने से पहले भक्त पूरे दिन व्रत रखते हैं। इस दिन भक्त केवल फलाहार ही करते हैं। रात को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म होने के बाद वह व्रत खोलते हैं और अगले दिन नंदोत्सव मनाते हैं।




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