- गुरुवार, 28 जुलाई को सावन महीना की अमावस्या है। इसे हरियाली अमावस्या कहा जाता है। अमावस्या को भी एक पर्व की तरह मनाया जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने की और तीर्थ दर्शन करने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। इस बार हरियाली अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, गुरु पुष्य नक्षत्र का योग भी बन रहा है। जानिए अमावस्या तिथि से जुड़ी 10 मान्यताएं और इस दिन क्या करें, क्या न करें...
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक हिन्दी पंचांग के एक माह में दो पक्ष होते हैं - कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष। एक पक्ष 15 दिनों का होता है। कृष्ण पक्ष में चंद्र घटता है और अमावस्या पर पूरी तरह अदृश्य हो जाता है। शुक्ल पक्ष में चंद्र की कलाएं बढ़ती हैं यानी चंद्र बढ़ता है।
अभी सावन महीना चल रहा है और इस महीने की अमावस्या का महत्व काफी अधिक है। इस दिन शिव जी का विशेष अभिषेक जरूर करें। अभिषेक जल, दूध, गन्ने के रस, पंचामृत या गंगाजल से किया जा सकता है।
स्कंद पुराण में चंद्र की सोलहवीं कला को अमा कहा गया है। स्कंदपुराण में लिखा है-अमा षोडशभागेन देवि प्रोक्ता महाकला। संस्थिता परमा माया देहिनां देहधारिणी।। इसका सरल अर्थ यह है कि चंद्र अमा नाम की एक महाकला है, जिसमें चंद्र की सभी सोलह कलाओं की शक्तियां हैं। इस कला का न क्षय होता है और न ही कभी उदय होता है।
जब सूर्य और चंद्र, दोनों एक साथ एक राशि में होते हैं, तब अमावस्या तिथि आती है। गुरुवार, 28 जुलाई को सूर्य और चंद्र दोनों एक साथ कर्क राशि में रहेंगे।
पितर देवता अमावस्या तिथि के स्वामी माने जाते हैं। इसलिए अमावस्या पर पितरों की तृप्ति के लिए श्राद्ध, दान-पुण्य, तर्पण, धूप-ध्यान आदि शुभ काम किए जाते हैं।
अमावस्या तिथि पर किसी पवित्र नदी में स्नान करने की परंपरा है। अगर नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। इस दिन तीर्थ दर्शन, जप, तप और व्रत भी किया जाता है।
अमावस्या तिथि पर नियम-संयम से रहना चाहिए। गलत विचारों से और गलत कामों से बचें। अन्यथा अमावस्या पर किए गए पूजा-पाठ, मंत्र जप और तप का पूरा पुण्य नहीं मिल पाएगा।
जो लोग अमावस्या पर व्रत और पूजा-पाठ करते हैं। उन्हें इस दिन सिर्फ दूध का और मौसमी फलों का सेवन करना चाहिए।
गुरुवार और अमावस्या के योग में भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का अभिषेक जरूर करें। इसके लिए दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और भगवान का अभिषेक करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें।
हरियाली अमावस्या पर किसी मंदिर में या किसी अन्य सार्वजनिक जगह पर बड़े छायादार पेड़ का पौधा लगाना चाहिए। साथ ही इस पौधे के बड़े होने तक इसकी देखभाल करने का संकल्प लेना चाहिए।