--वैशाख पूर्णिमा, बुद्ध जयंती, सर्वार्थ सिद्धि और सोमवार का योग; शिव जी, विष्णु जी और चंद्र देव की पूजा जरूर करें--
- सोमवार, 16 मई 2022 को वैशाख मास की पूर्णिमा है। इस दिन वैशाख महीना खत्म हो जाएगा। अगले दिन यानी 17 मई से ज्येष्ठ महीना शुरू हो जाएगा। वैशाख पूर्णिमा पर बुद्ध जयंती मनाई जाती है। इस बार वैशाख पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण भी होगा। भारतीय समय अनुसार 16 मई की सुबह चंद्र ग्रहण शुरू होगा। भारत में ये ग्रहण नहीं दिखेगा, इस कारण यहां ग्रहण का सूतक नहीं रहेगा। सोमवार को सर्वार्थ सिद्ध योग होने से इस दिन किए गए काम जल्दी सिद्ध यानी पूरे हो सकते हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक सोमवार सुबह 7.58 बजे से चंद्र ग्रहण की शुरुआत हो जाएगी। ग्रहण 11.25 बजे खत्म होगा। ये ग्रहण कनाडा, न्यूजीलैंड के कुछ भागों में और जर्मनी में दिखाई देगा। भारत में ग्रहण का सूतक न होने से इस दिन वैशाख पूर्णिमा से जुड़े सभी शुभ काम किए जा सकेंगे।
पिछले महीने 30 अप्रैल को वैशाख अमावस्या पर सूर्य ग्रहण हुआ था, ये ग्रहण भी भारत में नहीं दिखा था। इस तरह हिन्दी पंचांग के वैशाख माह में सूर्य ग्रहण हो चुका है और चंद्र ग्रहण हो रहा है।
आचार्य वराहमिहिर द्वारा रचित बृहत्संहिता के अनुसार जब एक ही महीने में दो ग्रहण होते हैं तो देशों में सैन्य हलचल बढ़ने लगती हैं। किसी देश में तख्तापलट होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। चंद्र ग्रहण वृश्चिक राशि में हो रहा है। चंद्र ग्रहण जहां-जहां दिखाई देगा, सिर्फ उन्हीं क्षेत्रों में इसकी धार्मिक मान्यताएं मान्य रहेंगी।
सर्वार्थ सिद्ध योग, सोमवार और पूर्णिमा का शुभ योग
ज्योतिष में सोमवार का स्वामी ग्रह चंद्र को माना गया है। साथ ही इस दिन शिव जी की पूजा खासतौर पर करने की परंपरा है। सोमवार और पूर्णिमा के योग में शिव जी के साथ चंद्र की पूजा करने से भक्त की मनोकामनाएं जल्दी सफल हो सकती हैं। शिव पूजा से पहले गणेश जी की पूजा जरूर करें।
तांबे के लोटे से शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। चांदी के लोटे से दूध चढ़ाएं। इसके बाद बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल, जनेऊ, हार-फूल चढ़ाएं। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। आरती करें। पूजा के बाद प्रसाद वितरीत करें और खुद भी ग्रहण करें। पूजा में हुई जानी-अनजानी गलतियों के लिए क्षमा मांगे।
शाम को चंद्र उदय के बाद चंद्र को अर्घ्य अर्पित करें और ऊँ सों सोमाय नम: मंत्र का जाप करें।
वैशाख पूर्णिमा पर कौन-कौन से शुभ कर्म करें
वैशाख पूर्णिमा पर किसी पवित्र नदी में स्नान करें। किसी पौराणिक महत्व वाले तीर्थ या मंदिर के दर्शन करें। दर्शन के बाद जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें। अगर नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर ही पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान करते समय पवित्र नदियों का ध्यान करें।
पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा सुनने करने की परंपरा है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ें या सुनें। भगवान सत्यनारायण विष्णु जी का ही एक स्वरूप है। पूर्णिमा पर भगवान विष्णु का दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करें। इसके लिए शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और भगवान का अभिषेक करें। जल से अभिषेक करें। इसके बाद हार-फूल चढ़ाएं। मिठाई का भोग तुलसी के पत्तों के साथ लगाएं। धूप-दीप जलाएं और आरती करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।
पूर्णिमा पर बाल गोपाल का भी अभिषेक करें। पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें। माखन-मिश्री का भोग तुलसी के साथ लगाएं। धूप-दीप जलाएं। कृं कृष्णाय मंत्र का जप करें।