अमित वाजपेयी की रिपोर्टर
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित किया जाता है, साथ ही इस दिन गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन भी किया जाता है। अग्नि पुराण के अनुसार अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है। इस पूजा में भगवान विष्णु के साथ अनंत सूत्र भी पूजा जाता है। जानिए क्या करें इस दिन...
पूजा और व्रत की विधि (पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के मुताबिक)
1. इस दिन सबसे पहले स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प लें।
2. यदि बन सके तो एक स्थान को या चौकी आदि को मंडप रूप देकर उसमें भगवान की सात फणों वाली शेष स्वरूप अनंत की मूर्ति स्थापित करें। उसके आगे 14 गांठ का अनंत दोरक रखें और नवीन आम्र पल्लव एवं गंध, पुष्प, धूप, दीप, और नैवेद्यादि से पूजन करें ।
3. पूजन में पंचामृत, पंजीरी, केले, और मोदक आदि का प्रसाद अर्पण करके इस मंत्र के साथ प्रभु को नमस्कार करें।
4. पूजा में रखे गए इस सूत्र को पुरुष दाहिने हाथ में और स्त्रियां बाएं हाथ में बांधती हैं। पूजन के दौरान जब अनंत सूत्र बांध लें तो उसके बाद किसी ब्राह्मण को नैवेद्य में बने पकवान देकर स्वयं सपरिवार प्रसाद ग्रहण करें।
5. पूजा में व्रत की कथा जरूर सुनें। स्मरण रहे कि नियमों के पालन के साथ ही इस पूजा का पुण्य फल पाया जा सकता है।
मंत्र:
नमस्ते देव देवेश नमस्ते धरणीधर।
नमस्ते सर्वनागेन्द्र नमस्ते पुरुषोत्तम।।
ये मंत्र पढ़ते हुए भगवान विष्णु को तुलसी, कमल और वैजयंती के फूल चढ़ाकर प्रणाम करें। फिर गरुड़ घंटी बजाएं। ऐसा करने से पूजा का पूरा फल मिल जाता है। साथ ही हर तरह के पाप और दोष खत्म हो जाते हैं।
पूजा के बाद विसर्जन का ये मंत्र पढ़ें
न्यूनातिरिक्त परिस्फुटानि यानीहि कर्माणि मया कृतानि।
सर्वाणि चैतानि मम क्षमस्व प्रयाहि तुष्ट: पुनरागमा।।
अर्थ: प्रभु मेरे पास जो भी कुछ था उससे मैंने आपका स्मरण किया मेरी पूजा में जो गलती हो मुझे क्षमा करें। मेरी पूजा से खुश होकर आपका पुनरागमन हो।
माना जाता है इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करने और अनंत सूत्र बांधने से परेशानियों से मुक्ति मिलती है। शास्त्रों के मुताबिक अनंत चतुर्दशी का व्रत करने से सभी कष्ट दूर होते हैं।