नारी तुम इक जीवनसुगंधित सा उपवनतुम से घर संसारतुम जीवन आधारराग ,मोह,समर्पणकरती सब अर्पणतरंगिनी सी सरससुमन इक सहजनारी से ही परिवारनेह, ममता प्यारनैसर्गिक उपहारप्रेम,ममता अपारहिय संचित स्नेहकोमल सी इक देहकभी पीड़ा से विकलसिमटता सा आंचलभीनी मद्धम बयारसंगम प्रीत प्यारसरिता सी कोमल धारकश्ती की पतवार✍🏻 "कविता चौहान "स्वरचित एवं मौलिक