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जब शक्ति है नारी में सारी , फिर क्यूँ समझे खुद को बेचारी

 

जब शक्ति है नारी में सारी ,

फिर क्यूँ समझे खुद को बेचारी ? 

जिंदगी का सौदा न करे वो ,

इश्क करें खुद से ,मिटाए डर की बीमारी ,

ना जानी जाए किसी और के नाम से ,

अपनाए स्वावलंबन......बने स्वावलंबी.....

लिख दे सुनहरे अक्षरों से दुनिया में ,

अपनी कामयाबी की कहानी.......। 

अपनी कामयाबी की कहानी........।। 

लज्जा का मैं गहना पहनूं ,

पर अत्याचार से कभी ना सहमू ,

रणचंडीका भी बन जाऊं मैं ,

तलवार , गांडीव भी उठाऊँ मैं ,

कोमल हूँ , कमजोर नहीं , जननी हूं , लाचार नहीं , 

सीता ,राधा , मीरा हूँ तो चंडी , काली , दुर्गा भी ,

हूँ कोमलांगी , मातृत्व से भरी , तो शक्ति स्वरूपा भी ,

आत्म रक्षा की खातिर उठाऊँ मैं अस्त्र भी ,

दूर करने को समाज की बुराइयां लेकर चलूं शस्त्र भी ,

पहली जिन हाथों में चूड़ियां .............. 

उससे ही गला काट दूं हैवानों की........ 

अस्तित्व पर प्रश्न उठे तो ...............

मुंह बंद कर दूं समाज के ठेकेदारों की............। 

मुंह बंद कर दूं समाज के ठेकेदारों की..............।। 


स्वरचित 

प्रणीता प्रभात " स्वीटी "

फरीदाबाद , हरियाणा


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